Sunanda Aswal

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शौर्ट स्टोरी चैलेंज

प्रतियोगिता : शौर्ट स्टोरी चैलेंज
विधा: कहानी
शीर्षक : अपना घर अपना संसार

हल्के से बादलों के आवरण के बीच सूर्य की कांति धुंधला रही थी ..।


शेखर जी ने हाथ में छड़ी उठाई और सैर को निकल पड़े ..।


शेखर बाबू के तड़के सुबह उठने का नियम था , जीवन में कितने भी परिवर्तन आ जाएं परंतु, उनके जीवन में सुबह प्रातः को ही कहते हैं,ऐसा कभी नहीं हुआ कि वे दिन चढ़ने पर उठें हों ..।


रेलवे से रिटायार्ड शेखर जी की जिंदगी की गाड़ी आराम से दौड़ रही थी ..। श्रीमती जी का इंतकाल हो चुका था , फिर भी उन्होंने दिनचर्या में कोई कमी नहीं आने दी..।


और हां ..! जन्मदिन और सालगिरह में श्रीमती जी को याद करना वे कभी नहीं भूले, खासकर.. न‌ए फूलों का हार पहनाना, आखिर जिसने पैंतीस वर्ष तक साथ निभाया था ..।

सामान्य दिनचर्या ..शांत जीवन यही उनका उद्देश्य रह गया था ।

बड़े बेटे ने पास बुलाया भी ,किंतु ,बहू की आजादी को उनका आना रास ना आया..।

एक बार जब वे बीमार पड़े तो बड़ा बेटा दवा- सेवा कर रहा ..। 

तब;
बड़ी बहू ने नाराजगी से सख्त ऐतराज किया कहा,"--देखिए .! हमने ही बाबू का ठेका नहीं लिया है , आपके छोटे भाई को तो इतनी फुर्सत नहीं कि, बाबूजी के हाल चाल भी ले ले  । जितना खर्च आएगा आधा- आधा बांटा जाएगा, दोनों के हिस्से का .। हम सेवा भी करें और पैसा भी लगाएं ,ऐसा नहीं चलेगा ..।"

पहली बार लगा कि , जमीन ,खेत ,मकान की तरह बुजुर्गों की हिफाजत भी बंट ग‌ई है ..।

बड़े लड़के ने इतना सुनने पर भी चुप्पी लगा दी,लगा जैसे मौन स्वीकृति दे रहा हो ..।

घर में परिवेश में पारिवारिक शिष्टाचार तो था ,दोनों बेटों का उचित शिक्षा और लालन पालन किया, फिर भी उन्हें लगा कुछ कमी रह गई थी ..।

अगले ही दिन तड़के बेटे से वापस जाने को कहा और अपने फ्लैट में आ गए । फिर कभी बेटे की ओर रुख नहीं किया ..।

आसी-पड़ोसी कहा करते थे ,"शेखर जी ..! बड़े काबिल बेटे निकले आपके , आप उनके पास क्यों नहीं चले जाते ? फ्लैट बेच दें , बहुत खरीददार आ जाएंगे ..।"

वे हंसकर टाल देते ,कहते,"---मैं कैसे जाऊंगा..? अरे भई ,भला,मुझे कौन झेल पाएगा..?"

परंतु, यह सच था,जीवन का अहम हिस्सा वे कैसे बेच देते ? जहां उनके जज्बात थे । प्रेम , स्नेह ,दुख ,सुख सभी कुछ तो यहां देखा था ,ये फ्लैट ही उनके जीवन का एकमात्र गवाह था , यही जीवन की अनमोल  निशानी थी..।

ऐसे मोड़ जीवन आ गया था,जहां सारे रिश्ते ,राहें अलग मुकाम में आकर ठहर जाती हैं ,उसे बुढ़ापा कहते हैं , लाचार और बेबस ..।

बेटों से अलग रहते ,उसी फ्लैट में जहां अपनी तरह की जिंदगी जी रहे थे... दुनियां से दूर बेपरवाह ..।

उम्र के पड़ाव के साथ हाथ पैर शिथिल होने लगे,खाना बनाना दूभर हो गया तो ,उन्होंने घर के अन्य कामों व खाना बनाने वाली भी लगा ली थी ..।

उनको देखभाल के लिए सहारा मिल गया था ,किन्तु,बेटों तक बात पहुंची तो उन्हें अच्छा नहीं लगा ,वे फोन में अक्सर उनको समझाते रहते ,"--पापा ..उनके साथ होशियारी से रहना ,ए.टी.एम.वगैरह या कोई कीमती सामान पास ना रखें ,कभी भी कोई हादसा हो सकता है , सतर्कता बरतें ..।"

अगली सुबह ना सैर पर निकल पाए ना ही कोई सुगबुगाहट थी , फ्लैट एकदम शांत कुछ अनहोनी के संकेत दे रहा था ..। हर दिन चहपहल करने वाली वो छड़ी भी कोने में पड़ी थी , कुछ अपशकुन होने के संकेत मिल रहे थे ..!

तभी:
कामवाली आई ,उसके जाते ही द्वार खुला मिलता था ,क‌ई बार डोर बेल बजाने व खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उसने गार्ड को खबर की , फिर इस बात की पुलिस चौकी को सूचना दी , पुलिस ने आगे की कार्रवाई की , शेखर जी की प्रोफाइल के साथ मोटो अप्रेंटिस से बेटों के कहने पर कामवाली को ही हिरासत में ले लिया गया..।

कामवाली खूब रोई उसके इंकार करने पर भी बेटे नहीं माने ..। वे लगातार बोल रहे थे ,"--तुमने ही हमारे पिता को मारा है ,तुम ही इसकी जिम्मेदार हो ...। उन्होंने तुम्हारे नाम ये फ्लैट भी कर दिया था ,तुमने उनको अपने चंगुल में फंसाया था..।"

कामवाली बिलखते हुए रोते रोते कह रही थी ,"--यदि, मैंने ऐसा किया होता तो मैं पुलिस को क्यों बुलाती ? और उनकग मारकर मुझे क्या मिलेगा ? मैंने असहाय बुजुर्ग की सहायता की है ,वे मुझे बेटी की तरह समझते रहे थे.। मैंने उन्हें हमेशा पिता समझा ..। ये पाप मैंने नहीं किया साहब..! हां , बाबूजी अक्सर कहते थे कोई किसी का कोई नहीं अब इस उम्र में पता चला अच्छा हुआ मेरी प्रीतो यह देखने से पहले चली गई..। मुझे कहते थे ,"--ये फ्लैट ट्रस्ट को दे दूंगा जहां बूढ़ों को फ्री में रखा जाएगा.। उसका नाम ओल्ड होम ना होकर  "अपना घर अपना संसार " होगा ..!"

ऐसा सुनना था कि ,पुलिस न‌ए सिरे से तफ्तीश करने लगी , उनको कामवाली की बातों में सच्चाई नजर आने लगी ..।

पुलिस ने तमाम सबूत खंगाल डाले , कहानी मॉक ड्रिल से आई जो ऐसी थी ..!

उस रात :
शेखर जी सो रहे थे तभी , कुछ बंदूक धारी  लोगों ने उनके अकेलेपन का फायदा उठाकर फ्लैट का दरवाजा खुलवाया और उनको आसानी से निशाना बना दिया ..।

कातिल शातिर था,उसका पता नहीं चला, उसने कोई सुराग भी नहीं छोड़ा ..।

आखिर ऐसा राज पता चला कि सबके होश फाख्ता उड़ गए ..।

इस गुत्थी का असली चेहरा सामने आया वो था छोटा बेटा ,सारे सुबूत उसकी ओर ही इशारे कर रहे थे ..। कॉल डिटेल का निरीक्षण किया,उस दिन दिन में छोटे बेटा शेखर जी के फ्लैट में आया था यह बात पता चली ..।

आगे की कहानी और भी चौंकाने वाली थी , जब वह बोला,"-- बड़े भाई ने मुझे बताया था कि ,बाबूजी ने जब से कामवाली लगाई थी वे, बिल्कुल बदल ग‌ए  ,फोन भी कम करते थे , हमसे कोई मतलब रखना पसंद नहीं कर रहे थे ..।

फिर जब एक दिन कोर्ट में किसी काम से जाना पड़ा तो देखा बाबूजी वहां आए हैं और विल की एप्लिकेशन जमा कर रहे हैं ,पूरी बात समझ आ गई थी कि, उन्होंने फ्लैट उस कामवाली के नाम कर दिया है ।

फिर ,किराए के हत्यारे और बाबू जी की हत्या ..। लोग भी उनके और कामवाली के रिश्तों के बारे में ताने देते रहते थे ,इस उम्र में यह सब , क्या शोभा देता है ,यह तो होना ही था  ।"

पुलिस अपना काम कर रही थी ..। शेखर जी के बेटों को धाराएं लगाकर जेल भिजवा दिया गया ,पूरी अजीवन सजा काटने ..।

इस घटना ने सबक दे दिया है कि,बुजुर्ग ना तो अपने घर में सुरक्षित है और ना ही बाहर ही ,यहां तक वे अपनों के बीच भी सुरक्षित नहीं..।

आए दिन लालच ,नीयत ,धोखे के शिकार बुजुर्ग हो रहे हैं ..ऐसा कौन सा कदम हो जिससे उनका बुढ़ापा महफूज और जिंदा रह सके यह सोचनीय विषय है ..।

"हर बुजुर्ग का बुढ़ापा सुरक्षित रहे " यह आवाज़ उठानी चाहिए ..।

बाबूजी ने अपना घर अपना संसार की नींव रख दी है अब बारी आपकी है, एक ईंट लगा दीजिए ..।

#लेखनी
#लेखनी कहानी
#लेखनी कहानी का सफर

सुनंदा ☺️




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7 Comments

Neha syed

14-May-2022 09:32 PM

👏👏

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Anam ansari

14-May-2022 09:21 PM

Nice

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Fareha Sameen

14-May-2022 09:18 PM

Nice

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